Saturday, June 20, 2009

...दिल करता है

कुछ कहने को दिल करता है
बातें करने को दिल करता है
दिल की बात कब तक रखें दिल में
प्यार जताने को दिल करता है
तुम न मानो मर्ज़ी तुम्हारी
तुम्हारा ही ख्याल दिल में आता है
कुछ कहने को दिल करता है...
रात हो, दिन हो, हो सुबह या शाम
हर घड़ी तुम्हे सोचने को दिल करता है
बहुत बना लिए रेत के घरौंदे
दिल में आशियाँ बनाने को दिल करता है
दम निकलता है बहुत सितारों की छांव में
गेसुओं की छांव तले रहने को दिल करता है
कुछ कहने को दिल करता है ...
हार गए चंदा को तकते तकते
अब तुम्हे देखने को दिल करता है
छोड़ आओ दुनिया सारी, पास बैठो मेरे
बातें करने को दिल करता है
तुमसे मिलने को दिल करता है
कुछ कहने को दिल करता है...
मिलने को दिल करता है...

3 comments:

  1. such me kuch kehne ko dil karta hai....bahut khoob vashisth ji.... kya khoob likha hai..

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  2. kya kehne ko dil karta hai janab ye bhi bata dete to behtar hota

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  3. i wish aapka dil jo bhi kahe aapko vo sab mile

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