Wednesday, July 8, 2009

मंगलम् भगवान विष्णु मंगलम्...



‘मंगलम् भगवान विष्णु मंगलम् गरुड़ध्वज, मंगलम् पुंडरीकाक्षं मंगलाय तनो हरि’...यह मंत्र है सृष्टि के पालनहार भगवार विष्णु का जिसमें उनके रूप का बखान करते हुए उनसे मंगल कामना की गई है। मगर ‘कम्बख्त इश्क’ में जिस तरह से इसे फ़िल्माया गया है उससे लगता है कि यह मंत्र एक्सक्लूसिवली करीना की छरहरी कोमल कांत देह के लिए ही रचा गया है। हालांकि इस पर थोड़ा विवाद हुआ भी और मीडिया में खबर आई गई हो गई। लेकिन एक बात और जो ग़ौर करने लायक है कि न सिर्फ गाने में प्रयुक्त मंत्र के फिल्मांकन में अभद्रता बरती गई है बल्कि इस मंत्र का उच्चारण भी अशुद्ध किया गया है। यह कोई अंतराक्षरी का खेल नहीं है यहां हलन्त और विसर्ग के लगने या हटने से ही अर्थ का अनर्थ हो जाता है। लेकिन इस बात पर न ही तो किसी का ध्यान गया और न ही मीडिया ने अपनी ओर से कोई पहल ही की। गाने के बीच में यह मंत्र इस्तेमाल किया गया है और इस पर विज़ुअल ऐसा फिट किया गया है जिसका इस मंत्र से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है। इस मंत्र के दौरान करीना एक जहाज पर बिकनी पहने अपने हुस्न का जलवा इस कुछ ऐसे बिखेर रहीं हैं मानो यह मंगल कामना उनकी तरुण काया के लिए ही की जा रही हो। कुछ खास किस्म के दृश्यों को लेकर हमारे बॉलीवुड में एक कथन बहुत प्रचलन में है कि यह तो कहानी की मांग थी लेकिन इस गाने में इस मंत्र पर करीना का नंगापन तो कहीं से भी कहानी या संगीत की मांग नज़र नहीं आया।



हालांकि ऐसा नहीं है कि इससे पहले फिल्मों में वैदिक मंत्रों का प्रयोग नहीं हुआ। यदि पुरानी फिल्मों की बात करें तो उनकी तो शुरूआत ही वैदिक मंत्रों से हुआ करती थी। इसके बाद इस दौर की फिल्मों में भी संस्कृत के शलोकों और मंत्रों का इस्तेमाल होता आया है। मसलन करण जौहर की कभी खुशी कभई ग़म में ‘त्वमेव माताश्च पिता त्वमेव’ का बेहतरीन प्रयोग देखने को मिलता है। लेकिन कम्बख्त इश्क के निर्माता निर्देशक दोनों की ही बुद्धि क्या घास चरने गई थी जो इस तरह की बेहुदा हरकत कर बैठे। जहां तक करीना कपूर की बात है तो उनके लिए तो अपने तराशे हुए कोमल बदन का प्रदर्शन करना शायद गर्व की बात हो और फिर उन्हें पैसे भी तो इसी बात के दिए जा रहे हैं। ताज्जुब की बात तो यह है कि संस्कृति के ठेकेदारों की नज़र भी इस मंत्र के साथ किए गए इतने भद्दे मज़ाक पर नहीं पड़ी। या हम यह समझें कि उनका ज़ोर भी सिर्फ आम आदमी पर ही चलता है। एक संभावना और बनती है कि कम्बख्त इश्क की अधिकतर शूटिंग हॉलीवुड में हुई है तो क्या यह समझा जाए कि सिनेमा के ज़रिए विशुद्ध भारतीय संस्कृति को बेचा जा रहा है। तो निर्माता महोदय बताएंगे कि यह सौदा उन्होंने कितने में किया। बहरहाल सौदा तो हो चुका है, विवाद की लपटें ज़यादा ऊपर तक उठ नहीं पाई, चिंगारी के फिर से भड़कने की संभावना बहुत कम ही है और यदि इसकी लपटें उठती भी हैं तो इसमें झुलसने वाले निर्माता निर्देशक तो होंगे नहीं। बहुत ज़यादा हुआ तो गाने से इस दृश्य को हटा लिया जाएगा। बॉलीवुड ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है जब किसी फिल्म से किसी खास दृश्य को फिल्माने के बाद उसे हटा लिया गया हो। अमिताभ बच्चन की आने वाली फिल्म ‘रण’ में राष्ट्रीय गान के साथ कुछ इसी तरह का खिलवाड़ किया गया था जिस पर हाई कोर्ट ने पाबंदी लगा दी। लेकिन कमबख्त इश्क की ‘कमबख्तता’ पर अभी तक किसी का ध्यान क्यों नहीं गया, क्या देश के शीर्षस्थ कोर्ट को जिसका आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते स्वयं मुंडकोपनिषद् से लिया गया है इसका खयाल तक नहीं आया कि यह भारतीय संस्कृति को दूषित करने की कोशिश है। क्या वहां भी यह विचार तक नहीं आया कि इसके दूरगामी परिणाम कितने भयंकर हो करते हैं? आज हम इन मंत्रों को जिस रूप में दिखला रहे हैं आने वाली पीढ़ी पर इसका क्या असर होगा? कौन इसकी ज़िम्मेदारी लेगा? क्या राष्ट्र की संस्कृति, उसकी अस्मिता से संबंधित मामलों पर कोर्ट को स्वयं संज्ञान नहीं लेना चाहिए? बहरहाल हम दुआ के सिवा और कर भी क्या सकते हैं कि ईश्वर, अल्लाह इन निर्माता निर्देशकों को सद्बुद्धि दे। आखिर मंगलम् भगवान विष्णु मंगलम् में भी तो यही कामना की गई है।

1 comment:

  1. यहीसवाल मेरा भी है इस फिल्म के निर्माताओं से अधिक संस्कृति के ठेकेदारों से --वे कहाँ हैं?क्यों इस तरह के सीनों पर कैंची नहीं चली?
    हद्द तो तब हुई जब यह मन्त्र 'शौचालय में व्यस्त अक्षय कुमार 'के पेट से बजने लगता है.
    न जाने क्या सोचते होंगे.दूसरे धरम के लोग हमारे बारे में?

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