Friday, July 10, 2009

राग मल्हार...


आज सुबह से ही मौसम कुछ खुशगवार लग रहा था। भगवान भास्कर बादलों की ओट ले ले कर आंख मिचौली खेल रहे थे। ठंडी हवा तन मन को शीतल किए जा रही थी। सावन लगने के बाद यह पहली सुबह थी जो सावन की सी लग रही थी। सावन हमारे कवियों, फिल्मकारों, और संगीतकारों के लिए बड़ा ही प्रेरणास्पद विषय रह है। सावन लगते ही प्रकृति भी मानो संवरने लगती है। घास हरी होने लगती है तो पेड़ों पर नई कोंपलें आने लगती हैं। मंद मंद शीतल पवन ऐसे बहती है कि उसके साथ मन मस्तिष्क भी बहता ही चला जाता है। मोर पपीहे गुनगुनाने लगते हैं तो कोयल की मधुर कूक भी गूंजने लगती है। समूचा वातावरण संगीतमय, हरा-भरा और ताजगी देने वाला हो जाता है। कुदरत यदि कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो और ऊपर से रिमझिम बरसात हो तो क्या कहने। आज की सुबह कुछ ऐसा ही नजारा पेश कर रही थी। सौभाग्य से आज बस में सीट मिल गई थी वह भी खिड़की के साथ। मंद- मंद बहती हवा बरसते बादलों के साथ मिलकर हल्की बौछारों से बदन को भिगोती हुई मुझे अंदर तक भिगो रही थी। खिड़की से बाहर झांक कर देखा तो बरसात की बूंदें सड़क पर मोती बुन रही थी। बाइक वालों ने फ्लाई ओवर की शरण ली तो कारों के एसी रोजाना की तरह चल रहे थे। न जाने क्यों मगर ये बरसात रिक्शा वालों को तर बतर न कर पाई। शायद उनके लिए इसके मायने केवल इतने ही हों कि आज उन्हें तपती धूप में पैडल मारने से थोड़ा राहत मिलेगी। कोई ऑफिस पहुंचने के चक्कर में इस बारिश से बचता नजर आया तो कोई प्रेमी युगल सावन के पहले बादल से खुद को सराबोर करने का मौका ना छोड़ते हुए नजर आया। तो वहीं कोई कोई युगल एक ही छाते में ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ की तर्ज पर मतवाली चाल चलता दिखा। ऐसे में भला कौन सहृदय होगा जिसके हृदय का कंपन्न तेज ना हो...मस्तिष्क में अनायास ही मेघदूत की यक्षिणी और अपनी प्रेयसी दोनों साथ साथ प्रवेश कर गई। यक्षिणी के साथ प्रेयसी का आना इसलिए कि वह भी विरह व्यथा में थी तो इधर हम भी एक दूजे से दूर और जुदा हैं। यह अलग बात है कि हम जुदा होकर भी जुदा हो नहीं पाते हैं। लेकिन ऐसी घनघोर घटाओं में भी गर उनका साथ ना हो तो अखरता है...दिल को जलाता है...तन बदन में एक आग सी लगाता है...दिल में खलबली मचाता है...मुझे बेचैन कर जाता है...मैं मिलने को तरस जाता हूं...उनका साथ पाने को तरस जाता हूं...

3 comments:

  1. सुन्दर शब्द चित्र। जुदाई के बाद मिलन का आनन्द कुछ अलग होता है।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. shabdo ka aisa bhandaar kaha se laate ho mitr?bahut khoob.

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